भोपाल के यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र के टैंक 610 में 2 दिसम्बर 1984 की रात 10 बजे जल प्रवेश कर गया जिसमें 42 टन मिथाइल आइसोसाइनेट ( MIC ) गैस भरी थी।
जल से रासायनिक क्रिया के बाद टैंक का तापमान 200 ° C हो गया ।
उच्च तापमान सहन क्षमता इतनी न होने के कारण गैस टॉवरों को खोलना पड़ा।
विषाक्त गैस हवा में घुलने लगी ।
3 दिसम्बर की सुबह 2 : 10 पर खतरे का सायरन बजाया गया और सुबह 4 बजे गैसों के रिसाव पर काबू पा लिया गया ।
राज्य सरकार के अनुसार , इस त्रासदी में 3,787 लोग मारे गये । और बाद में गैस जनित रोगों से लगभग 15 हजार लोग मारे गये
भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस का रिसाव हो गई थी ।
यूनियन कार्बाइड कम्पनी यू ० एस ० ए ० की थी ।
यह गैस ( मिथाइल आइसोसाइनेट CH3NCO ) एक रंगहीन , आंसू उत्प्रेरक ज्वलनशील गैसें हैं ।
यह गैस बहुत विषैली होती है । मिथाइल आइसोसायनेट गैस का प्रयोग कार्बोनेट कीटनाशकों के उत्पादन में किया जाता है ।
भोपाल गैस कांड की तरह Vizag ( विशाखापट्टनम ) में 7 मई 2020 को Styrene गैस लीकेज हुई जिससे 11 व्यक्ति मारे गए तथा 1500 व्यक्ति इसके प्रभाव में आए ।